दयारे ज़ुहुत छोड़ा और मह्ख्वारो में आ पहुंचा
गुनाह ऎ जीस्त की खातिर गुनाहगारों में आ पहुंचा
मेरे दीरा ना हमदम खूब थे पर ये हकीकत है
सबाबित से गुज़र कर आज सैयारों में आ पहुंचा
गुलिस्तानो में रहता था खिज़ा के ज़ोर सहता था
बयाबानो में आ पहुंचा ज़ुनुज़रों में आ पहुंचा
सबिस्तानो के ख़वाब आवर नाज़िर कल की बातें थी
शहर के ज़फिज़ा में बेदार नज़ारों में आ पहुँचा
जो तालिब हैं सुकून ऐ जिंदगी उनको मुबारिक हो
हलाके जूस्तजू था मै की आवारों में आ पहुंचा
नज़र को खीरा कर सकती थी सीमोज़र की ताबानी
नज़र पलती है जिनमे ऐसे नज़रों में आ पहुँचा
मै बेगाना था यज्दा के परिस्तारों की महफ़िल में
ग़नीमत है की इन्सां के परिस्तारों में आ पहुँचा
ऊरूसे ज़िन्दगी की नाज़ परदारी का सौदा था
उरूसे ज़िन्दगी के नाज़ा पर्दारों में आ पहुँचा
अगर यह जिंदगी से प्यार भी एक ज़ुर्म है फ़िर तो
गुनाहगारों में आ पहुँचा खतावारों में आ पहुँचा
भटकता फ़िर रहा था दरबदर और कूबकू ताबां
यह यारों का तसरुफ़ है की यारों में आ पहुँचा
दयारे ज़ुहुत छोड़ा और मह्ख्वारो में आ पहुंचा
गुनाह ऎ जीस्त की खातिर गुनाहगारों में आ पहुंचा